प्रयागराज में घूमने की बेस्ट 11 जगह:(Prayagraj Me Ghumne ki Jagah in Hindi)

Prayagraj Me Ghumne ki Jagah in Hindi: प्रयागराज शहर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र है। यह शहर न केवल एक पर्यटन केंद्र है बल्कि एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल भी है।

लगभग पांच सौ साल पहले यानि साल 1583 में, सम्राट अकबर ने प्रयागराज शहर का नाम बदलकर इलाहाबाद रखा  था। लेकिन इस इलाहबाद शहर का नाम ज्यादा दिनों तक नहीं रहा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज नाम रखा था ।

यहां साल भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन कुंभ मेले के दौरान सबसे ज्यादा पर्यटकों की भीड़  होती है। प्रयागराज के इस शहर में हर 12 साल में कुंभ मेला और हर 6 साल में आधा कुंभ मेला होती  है।

इस प्रयागराज शहर का नाम महाभारत में भी वर्णित है। तब इस शहर का नाम प्रयागराज नहीं था तब इस शहर को कोसंबी कहा जाता था। इस प्रयागराज शहर में कई पर्यटन केंद्र और तीर्थस्थल हैं।मैंने यहां अपने लेख में सिर्फ प्रयागराज में घूमने की जगह (Prayagraj Me Ghumne ki Jagah) में से 11 प्रमुख पर्यटन केंद्रों या तीर्थस्थलों की चर्चा की है।

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आनंद भवन मोतीलाल नेहरू द्वारा निर्मित एक ऐतिहासिक इमारत है। उन्होंने इसे साल 1926 में इलाहाबाद राज्य के प्रयागराज में बनवाया था। मोतीलाल नेहरू ने रहने के लिए इस आनंद भवन का निर्माण कराया था। शुरुआत में मोतीलाल नेहरू अपने परिवार के साथ इसी इमारत में रहते थे। तब इस भवन को स्वराज भवन कहा जाता था।

इस भवन के अंदर आपको खूबसूरत डिजाइन देखने को मिलेगा।मोतीलाल नेहरू इस भवन के अंदर विभिन्न लकड़ी के फर्नीचर ज्यादातर यूरोप और चीन से लाए थे।

साल1931 में मोतीलाल नेहरू की मृत्यु के बाद, इसका उपयोग राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यालय भवन के रूप में किया गया था।  लेकिन बाद में इंदिरा गांधी जब भारत की प्रधान मंत्री थीं तब साल 1970 में यह भवन भारत सरकार को दान कर दिया गया था।

आजादी के दौरान इस आनंद भवन का उपयोग स्वतंत्रता सेनानियों के गढ़ के रूप में किया जाता था। आजकल इस इमारत को देखने के लिए दूर-दूर से कई लोग आते हैं। आज यह एक ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र में से एक है

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यह चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क उत्तर प्रदेश राज्य के सबसे बड़े पार्कों में से एक है। यह पार्क 133 एकड़ में फैला हुआ है। इस पार्क को पहले अल्फ्रेड पार्क या कंपनी बग के नाम से जाना जाता था। इस चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क या अल्फ्रेड पार्क का एक लंबा इतिहास है।

ब्रिटिश शासन के दौरान, जब अंग्रेजों ने चन्द्रशेखर आज़ाद को मारने के लिए घेर लिया था तो तब चन्द्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया, उन्होंने पिस्तौल से खुद को मार लिया क्योंकि वे अंग्रेजों के हाथों से नहीं मरना चाताह था। इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने यहाँ चन्द्रशेखर आज़ाद के सम्मान में इस पार्क का नाम आज़ाद हिन्द पार्क रखा।

यह खुसरो बाग प्रयागराज शहर के रेलवे स्टेशन के पास 17 एकड़ में फैला हुआ एक विशाल उद्यान है। यहां तीन कब्रें देखी जा सकती हैं।

एक मकबरा सम्राट जहांगीर के बड़े बेटे खुसरू का है और दूसरा जहांगीर की बेटी का है और तीसरा मकबरा सम्राट जहांगीर की पत्नी का है। इस खुसरो बाग में आज भी कई प्रकार के फलों के पेड़ देखने को मिलते हैं।

हालाँकि, अमरूद का फल बगीचे में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला फल है। ये अमरूद भारत के विभिन्न राज्यों और विदेशों में भी निर्यात किये जाते हैं। फलों के बगीचे के अलावा यहां एक नर्सरी भी है। इस नर्सरी से कई छोटे पौधे बेचे जाते हैं। और यह वर्तमान में इलाहाबाद के अन्य पर्यटन केंद्रों में से एक है।

प्रयागराज का कुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मेलों में से एक है। यह कुंभ मेला हर 12 साल में और अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल में आयोजित किया जाता है।यह मेला प्रयागराज के अलावा उज्जयनी, हरिद्दर और नासिक में भी होती है।

यह मेला एक ऐसा त्यौहार है जहाँ विभिन्न राज्यों और विभिन्न देशों से करोड़ों लोग इस मेले में एकत्रित होते हैं। यह मेला मकर संक्रांति के दिन शुरू होता है और इस मकर संक्रांति के दिन करोड़ों लोग स्नान करते हैं। 

और इस दिन को हिंदू धर्म में एक विशेष शुभ दिन माना जाता है। कई लोगों के अनुसार इस समय यहां स्नान करने से शरीर से पाप दूर हो जाते हैं और जीवन में पूर्णलाभ मिलती  है।

प्रयाग राज के इस अशोक स्तंभ का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। यह अशोक स्तंभ आपको प्रयागराज या इलाहाबाद किले के बाहर मिल सकता है। इस अशोक स्तंभ में सम्राट अशोक के विभिन्न शिलालेख हैं जो उन्होंने ब्राह्मी लिपि में लिखे थे। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1800 ई. में इस अशोक स्तंभ को अंग्रेजों ने ध्वस्त कर दिया था। लेकिन बाद में अंग्रेजों ने 1838 ई. में दोबारा इस अशोक स्तंभ का निर्माण कराया

प्रयाग राज का यह चर्च उत्तर भारत के सबसे बड़े चर्चों में से एक है। प्रयाग राज में यह चर्च दो मुख्य सड़कों एसएन मार्ग और एमजी मार्ग के चौराहे पर स्थित है। यह चर्च को साल 1871 में सर विलियम इमर्सन द्वारा डिजाइन किया गया था।

सर विलियम एमर्सन एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार थे जिन्होंने कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल हॉल को भी डिजाइन किया था।प्रयाग राज में स्थित यह चर्च करीब 240 फीट लंबा और करीब 56 फीट चौड़ा है। यह चर्च इतना बड़ा है कि यहां एक साथ करीब 400 लोग रुक सकते हैं।

प्रयाग राज का यह चर्च इतना पुराना है , लेकिन चर्च के अंदर का संगमरमर और खिड़की का काम अभी भी नई स्थिति में है और आपको कभी भी नहीं लगेगा  कि यह चर्च लगभग 150 साल की पुराना एक चर्च है। इस चर्च की जयंती हर साल 1 नवंबर को मनाई जाती है।

प्रयागराज में स्थित यह त्रिवेणी घाट प्रयागराज के अन्य पर्यटक स्थलों में से एक है। इस त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होती  है।

यहां गंगा और यमुना नदी का पानी साफ दिखाई देता है  लेकिन सरस्वती नदी का पानी सूखने के कारण सरस्वती नदी का पानी दिखाई नहीं देता है। गंगा नदी के पानी का रंग सफेद और यमुना नदी के पानी का रंग नीला है।

यहां इन दोनों नदियों के मिलन स्थल को आप आसानी से देख सकते है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार इस घाट पर स्नान करने से स्वर्ग की प्राप्ति मिलती  है। इसलिए इस त्रिवेणी घाट को पवित्र घाट माना जाता है। कुंभ मेले के दौरान पर्यटकों की भीड़ सबसे ज्यादा होती है।

यह भारद्वाज पार्क प्रयागराज शहर का एक प्रमुख पार्क है। यहां आपको ऋषि भारद्वाज की कई तस्वीरें और मूर्तियां मिलेंगी। यह पार्क बेहद खूबसूरत है. पार्क के अंदर आपको बहुत सारे हरे पौधे, फूल और फलों के पेड़ मिलेंगे।

इसके अलावा इस पार्क में एक कृत्रिम झरना भी है जो इसे पर्यटकों के लिए बहुत आकर्षक बनाता है। यह कृत्रिम झरना दिन से रात तक देखने में बहुत अच्छा लगता है।

क्योंकि इस झरने के पीछे अलग-अलग रंग की लाइटें लगी हुई हैं, रोशनी में झरना बेहद खूबसूरत दिखता है। यह पार्क महर्षि भारद्वाज आश्रम के बगल में स्थित है।

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लेटेहनुमान मंदिर, प्रयागराज, इलाहाबाद में संगम नदी के तट पर स्थित एक हनुमान मंदिर है। यह मंदिर एक जागृत मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां हनुमानजी की लेटी हुई मूर्ति है।

भारत के विभिन्न राज्यों में हनुमानजी के मंदिर मिल जाएंगे लेकिन कहीं भी किसी भी मंदिर में लेटे हुए हनुमानजी की मूर्ति नहीं मिलेगी। लेकिन यहां हनुमानजी की लेटी हुई प्रतिमा दिखाई देती है। यह प्रतिमा लगभग 20 फीट ऊंची है और सतह से लगभग 6-7 फीट नीचे स्थित है।

लोगों के मन में यह मान्यता प्रचलित है कि संगम नदी में स्नान करने के बाद इस नदी में स्नान पूरा करने के लिए हनुमानजी की इस मूर्ति के दर्शन करने होते हैं। इसलिए जब पर्यटक इस संगम नदी में स्नान करते हैं, तो वे हनुमानजी के इस मंदिर में जाते हैं और हनुमानजी की पूजा करते हैं।

इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी उत्तर प्रदेश राज्य की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी में अलग-अलग भाषाओं की करीब 1 लाख 25 हजार किताबें और 40 अलग-अलग तरह की पत्रिकाएं हैं।

भारत के किसी भी राज्य में इतनी बड़ी लाइब्रेरी कहीं नहीं है। यह पुस्तकालय 1864 में स्थापित किया गया था और अल्फ्रेड पार्क में स्थित है। लाइब्रेरी का डिज़ाइन रिचर्ड रोस्केल बेन द्वारा किया गया था।

अलोपी देवी मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज शहर के अलोपी बाग में स्थित है। इस मंदिर की एक खासियत यह है कि इस मंदिर में भगवान की कोई मूर्ति नहीं है।

यहां एक लकड़ी की गाड़ी या डोली है। भक्तगण यह ‘लकड़ी की कार’ या ‘डोली’ की पूजा करते हैं। इस मंदिर के पास तीन नदियाँ गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम हुआ। इस मंदिर के पास कुम्भ मेला होती  है। कुंभ मेले के दौरान यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है।

उत्तर प्रदेश राज्य का प्रयागराज शहर एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां आप अपने परिवार के साथ घूम सकते हैं। यहां आपको प्रसिद्ध पर्यटन केंद्रों के साथ-साथ प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी देखने को मिलेंगे।

लेकिन अगर भविष्य में कभी आपका प्रयागराज जाने का प्लान हो तो आपको अपनी तैयारी के साथ ही यात्रा करनी चाहिए। क्योंकि किसी पर्यटक स्थल पर जाने में कई दिन लग जाते हैं। ऐसे में आप अपने समय के हिसाब से यात्रा का दिन तय करेंगे। आशा है कि आपको प्रयागराज शहर का दौरा करने में आनंद आया होगा।

मैंने यहां अपने लेख के माध्यम से प्रजाराज के प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्रों एवं तीर्थस्थलों की संक्षिप्त चर्चा ही की है। मुझे आशा है कि आपने मेरे द्वारा दी गई सभी यात्राएँ पढ़ ली होंगी और यदि यात्रा के बारे में आपके कोई प्रश्न हों तो आप मेरी साइट के कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

Q.प्रयागराज में घूमने के लिए क्या है?

A: त्रिवेणी संगम प्रयागराज का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां गंगा नदी, यमुना नदी और सरस्वती नदी एक साथ मिलती हैं। इसके अलावा यहां हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है

Q. प्रयागराज में कौन कौन से पार्क है?

A: प्रयागराज के प्रसिद्ध पार्कों में से आज़ाद पार्क, भारद्वाज पार्क और मिंटो पार्क हैं.

Q. प्रयागराज का प्रसिद्ध भोजन कौन सा है?

A: प्रयागराज का प्रसिद्ध भोजन कचौरी, सब्जियाँ और हरी चटनी हैं.

Q. प्रयागराज का दूसरा नाम क्या है?

A: प्रयागराज का दूसरा नाम प्रयाग है.

Q. इलाहाबाद में कितनी नदियों का संगम है?

A: इलाहाबाद गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम है .

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